क्रांतिकारी श्री देव सुमन के शहीद दिवस तथा उत्तराखंड क्रांति दल के स्थापना दिवस पर पूर्व विधायक डॉ नारायण सिंह जंतवाल ने व्यक्त किए अपने विचार

नैनीताल l टिहरी क्रांति के नायक आज़ादी व लोकतंत्र के लिए युवा अवस्था में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले देवसुमन अमर रहें अमर रहें !
देवसुमन जी के बलिदान दिवस पर आज ही के दिन मसूरी में25, जुलाई 1979 में एक एतिहासिक निर्णय ज़बरदस्त वाद विवाद चर्चा परिचर्चा के बाद उत्तराखंड की बेहतरी व उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिये एक राजनीतिक दल ही एकमात्र विकल्प माना गया!
इस तरह विराट कठिन व पावन उद्देश्य की प्राप्ति के लिये अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उत्तराखंड के क्षेत्रिय दल उत्तराखंड क्रांति दल का जन्म हुआ!
उत्तराखण्ड क्रांतिदल के स्थापना दिवस पर, दूरदर्शी निर्णय लेने का साहस करने वाले विचारशील लोगों व दल के सभी साथियों,और एतिहासिक जन संघर्ष के भागीदार सभी लोगों जनता जनार्दन के प्रति हम कृतज्ञता ज्ञापित करतेहै;
उत्तराखंड क्रांति दल के स्थापना दिवस पर सभी उत्तराखण्डवासियों सहित बेहतर समाज के निर्माण के लिये प्रयासरत लोगों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ! ध्यान रहे, अभी और भी कठिन चुनौतियाँ का सामना करना है! दल के कठिन संघर्षों के इतिहास से ऊर्जा लेकर एकजुट होकर आगे बढ़ें !
जहां राज्य के सामान्य जन दल के संघर्ष के प्रति भावनात्मक जुड़ाव व सम्मान की भावना रखते हैं वहीं दूसरी ओर यथास्थिति वादी शक्तियां किसी न किसी बात पर दल के खिलाफ वातावरण बनाती रही हैं ! अपने तमाम संसाधनों के द्वारा अनर्गल व नकारात्मक विमर्श कुछ हद तक बनाने में सफल भ रहे हैं ! इनके दुष्प्रचार के कारण कई बार सामान्य लोग ही नहीं प्रबुद्ध लोग भी इनके इस प्रचार से ग़लत राय भी बह लेते हैं, क्योंकि उन्हें एकपक्षीय जानकारी ही मिल पाती है!
उत्तराखंड क्रांति दल यहाँ की जनता का दल है, जनशक्ति के समर्थन से ही यह जनता के सवालों सरोकारों को लेकर आगे ब रहा है! शुद्ध अंतर्मन से जब भी कार्यों का मूल्यांकन होता है तो सही दिशा में मार्गदर्शन मिलता है! नकारात्मक अभियान के प्रभाव के बजाय पूरी जानकारी के साथ वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करेंगे तो यह उत्तराखंड की बेहतरी के लिए ही होगा!
परन्तु अधिकतर आत्मनिष्ट विश्लेषण ही दिखाई पड़ते हैं ! राज्य आंदोलन के दौर से ही दल ने राज्य की भावी दिशा पर न केवल चा की उसका स्वरूप भी प्रस्तुत किया !राजधानी ,भूकानून मूलनिवास,परिसीमन जैसे मुद्दे को पूरी तरह नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सका ,या कुछ कदम आगे बढ़े तो तो उसका बढ़ा कारण दल का अनवरत संघर्ष ही रहा है ! हालाँकि यह भी कोशिश कुछ ताक़तों के द्वारा की जाती रही है कि इस विमर्श में दल के योगदान को पृष्ठभूमि में ही रखा जाय !
दल हमेशा राज्य के मुद्दों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है ! दिल्ली से चलने वाले दल सरकार तो बना लेते हैं परन्तु वे राज्य के सरोकारों के साथ संवेदनशीलता के साथ काम नहीं कर पाते हैं !
शहीदों के सपनों को साकार करने व जनआकांक्षाओ के अनुरूप राज्य बने इस हेतू अपने दल के माध्यम से जनता को राजनीतिक शक्ति अपने हाथों में लेनी होगी !
राज्य आंदोलन के शहीदों व राज्य निर्माण के पश्चात् हमारे दल के बहुत से साथी व कई अन्य संघर्षशील साथी हमारे बीच नहीं रहे , उन सभी को सादर नमन विनम्र श्रद्धांजलि

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