फिरंगी पूछे ये मैन कहाँ चरता गाँव का नाम पड़ा “चढ़ता मल्लीताल का ‘पार्ट’ बना पाटा अंयार वाला अयारपाटा व मल्लीताल का ‘पार्ट’ बना पाटा अंयार वाला अयारपाटा व देवदार वाला देव पाटा, सीएम धामी का राज्य मे ब्रिटिशकालीन अंग्रेजी नाम बदलने की कवायद पर नैनीताल के एक गाँव की कहानी नैनीताल मे ऐसे सैकडों नाम जो फिरंगी बोलचाल से हुए चर्चित
बबलू चन्द्रा,नैनीताल। इतिहास के पन्नो मे नैनीताल की ढूंढ खोज का श्रेय अंग्रेजो को दिया गया है वहीं एक मत ये भी है कि नगर के आसपास के दर्जनों गाँव अंग्रेजो के यहॉं पहुँचने से पहले ही थे बस शहर का नाम अंग्रेजो ने ही विश्वविख्यात किया और मशहूर हुआ छोटी विलायत नैनीताल के नाम से। नैनीताल जहॉ कदम-कदम पर आज भी आपको अंग्रजी हुक्मरानो अफसरों के नामो से ही अधिकतर नाम मिलेंगे फिर वो तल्लीताल बाजार से शुरू रैमजे रोड हो या ऊंची चोटी का टॉप टिफिन टॉप सब नामकरण अंग्रेजो के ही हैं। मुख्यमंत्री धामी जी लैंड्सडाउन के साथ अन्य ब्रिटिशकालीन नाम बदले की कवायद के साथ आज नैनीताल नगर के करीब एक ऐसा ही गांव है चढ़ता गाँव जिसका नाम अंग्रेजों के नाम लेने से ही हास्यरूप मे नाम चढ़ता पड़ा। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान नैनीताल-हल्द्वानी मार्ग तब सोच भी नहीं गया था हल्द्वानी से नैनीताल आने के लिए ज्योलीकोट से विरभट्टी (बियारभट्टी) होते हुए पैदल खड़ी चढ़ाई पार कर फिरंगियों सहित भारतीयों को नैनीताल पहुँचना पड़ता था। अंग्रेज जब मैदानी इलाकों से विरभट्टी पहुँचता तो यहॉ ग्रामीणों की हिंदी स्थानिय बोलचाल को खुद भी आजमाने की कोशिश करता। वीरभट्टी से एक चढ़ाई मार्ग नैनीताल को होता तो दूसरा हनुमानगढ़ के मनोरा गाँव को अंग्रेजी आदमी को उस पहाड़ मार्ग मे जाते देखते तो हिंदुस्तानियों से पूछते ये मैन कहा चरता हिंदुस्तानी भी शब्दों की सुनकर हस्ते हाँ पर हाँ मिलाए कहते चरता चरता। नाम चर्चित होकर चढ़ता हो गया और आज भी मनोरा के नीचे इस गांव को इसी नाम से जाना जाता है। क्षेत्र के निवासी व उप ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख हिमांशु पांडे बताते है कि पुराने लोगो से वे इस गाँव के बाबत यही सुनते आए हैं, जबकि आजादी के बाद भी आज तक गाँव मे सड़क मार्ग न होने से ग्रामीणों सहित कृषकों को आज भज कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जबकि गाँव खेती सहित हरि ताजेदार सब्जियों व लाल मूली की विशेष पैदावार आज भी यहॉ की पहचान है।
मल्लीताल का पार्ट बना अयारपाटा व देवपाटा
वहीं मल्लीताल के अयार व देवदारों के पेड़ों से घिरे हिस्से यानी पार्ट बने पाटा ओर नाम चर्चित हुए यारपाटा व देवदार से घिरे हिस्से बने देवपाटा।। वही नाम के पीछे एक कहावत ये भी है कि घने जंगलों मे फैले इस क्षेत्र मे दिन मे भी अंधेरा होने के कारण हिंदुस्तानियों ने अन्ध्यारपाटा नाम कह कर बुलाया जिसे अब मुख्य रूप से आयरपाटा के नाम से ही जाना जाता है। नगर मे ऐसे ही अनगिनत नाम है जो फिरंगियों या अंग्रेज अधिकारियों के नाम मे ही है। इनमें मुख्य है रैमजे हॉस्पिटल, रैमजे रोड, स्टोनले कंपाउंड, आल्मा लॉज, एमिली कॉटेज, ओल्ड व न्यू लंदन हाउस, बर्बन कॉटेज, जुबली हॉल, चार्टन लॉज, मेविला कंपाउंड, केन्फील्ड, माउंट रोज, रुकुट कंपाउंड, ड्रम हाउस, टेलीग्राफ हॉउस, साइप्रस कॉटेज, रैमजे हाउस, सहित होटल रॉयल कॉटेज, मेट्रोपोल, ग्रांड होटल, पवेलियन, शेरवुड कॉलेज, सेंट जोजफ सहित अन्य नाम हैं।








