उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में कीवी उत्पादन के लिए किसानों को किया प्रेरित

नैनीताल। उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद्, हल्दी के क्षेत्रीय केन्द्र, पटवाडांगर में परिषद् एवं ग्राफिक ऐरा हिल यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वाधान शनिवार को राष्ट्रीय कीवी दिवस मनाया। परिषद के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने किसानों को कीवी कृषिकरण में आगे आने के लिये प्रेरित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की जलवायु कीवी उत्पादन के लिये बेहतर है। शनिवार को राष्ट्रीय कीवी दिवस मनाते हुए डॉ संजय कुमार ने कहा कि कीवी फल में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते हैं । यह फल कई रोगों का निवारण करता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। इस फल की मार्केटिंग की अति आवश्यकता है। कहा कि देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर है। उन्होनें सभा में उपस्थित किसानों व युवा वैज्ञानिकों से उद्यमी बनने व अपना स्टार्ट-अप शुरू करने का आह्वान किया।उन्होंने कीवी फल के उद्गम एवं इतिहास पर प्रकाश डालते हुये कहा कि उत्तरखण्ड के किसान कीवी का उत्पादन करके पलायन जैसी समस्या से बच सकते हैं और कीवी उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं। कीवी फल के उत्पादन के लिये आवश्यक जलवायु, मृदा गुणवत्ता के दृष्टिकोण से दिसम्बर माह सबसे उपयुक्त है। कहा कि कीवी फल की प्रमुख मादा किस्में एलीशन, ब्रूनो, मोंटी एवं एबोट तथा नर किस्म तुमरी है, जिसका उत्पादन मुख्य रूप से किसानों द्वारा करके अपनी आर्थिकी को मजबूत किया जा सकता है। यहाँ परिषद् के निदेशक डॉ. संजय कुमार वैज्ञानिक डॉ. मणिन्द्र मोहन. डॉ. सुमित पुरोहित, अनुज कुमार केशव सिंह रावत, जितेन्द्र बोहरा, सचिन शर्मा, अनुज जॉन ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के डॉ. बलवन्त रावत, डॉ. दीपा नैनवाल, डॉ. आर. एस. रावत उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मणिन्द्र मोहन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बलवन्त रावत ने किया। मुख्य अतिथि डॉ. प्रमोद कुमार पाण्डेय, निदेशक, मत्स्य अनुसंधान निदेशालय, भीमताल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का सीधा लाभ किसानों को मिलता है जिससे किसान स्वरोजगार को अपनाकर अपनी आर्थिकी को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश की अर्थव्यवस्था में किसानों का असुल्नीय एवं महत्वपूर्ण योगदान है। आगे बताया कि किसान मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन एवं बागवानी को अपनाकर भी अपनी आर्थिकी को बढ़ा सकते हैं। सम्मानित अतिथि सुदेश कुमार ड्राल कमान्डेन्ट, एन. डी आर एफ ने कहा कि देश की सेवा में किसानों का योगदान अतुल्नीय है। किसान अन्न उत्पादन के साथ अन्य जिम्मेदारियां भी निभाता है जो देश हित में होता है। उन्होंने किसानों से ऐसे प्रशिक्षणों में बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करने का आहवान किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. एम. के नौटियाल, अधिष्ठाता, ग्राफिक ऐरा हिल यूनिवर्सिटी ने किसानी एवं युवाओं से नये दृष्टिकोण को अपनाने एवं सदैव ज्ञान अर्जित करने के लिये प्रोत्साहित किया।

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कृषकों को कीवी की ग्राफ्टिंग एवं अन्य तकनीकी जानकारिया दी।

नैनीताल। द्वितीय दिवस के तकनीकी सत्र के दौरान प्रतिभागी कृषकों को ग्राफ्टिंग एवं कीवी फल के कृषिकरण की समस्त जानकारियां दी गयी। विषय विशेषज्ञ डॉ. पंकज तिवारी, डॉ. सुमित पुरोहित, डॉ नारायण सिंह ने किसानों की समस्याओं का निदान हेतु सामूहिक रूप से अपने सुझाव दिये। डॉ. तिवारी ने कहा कि विज्ञान को धरातल पर लाने से ही किसानों को लाभ पहुंचेगा। आगे कहा कि प्रकृति का
अनावश्यक शोषण किसानों एवं मनुष्यों के लिये हानिकारक साबित हो रहा है। उन्होंने कीवी उत्पादन हेतु प्रदेश के वातावरण एवं उसकी वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुमित पुरोहित, अनुज कुमार ने तकनीकी सत्रों का संचालन किया।

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