“कला के दीप से संस्कारों का उजास” संस्कार भारती – हल्द्वानी इकाई द्वारा ‘दीपावली परिवार मिलन’ का आयोजन

हल्द्वानी l भारतीय संस्कृति की उत्कृष्ट परंपराओं और कलाओं के माध्यम से “वसुधैव कुटुम्बकम्” के भाव को प्रतिष्ठित करने हेतु कार्यरत संस्कार भारती की हल्द्वानी इकाई द्वारा दिनांक 12 अक्टूबर 2025 (रविवार) को प्रातः 10:00 बजे से मधुबन बैंक्वेट हॉल, नैनीताल रोड, हल्द्वानी में “दीपावली परिवार मिलन” का भव्य आयोजन किया गया ।
इस अवसर पर क्षेत्र के प्रख्यात एवं नवोदित कलाकारों द्वारा विविध भारतीय कला विधाओं — नृत्य, रंगोली, चित्रकला, शास्त्रीय गायन एवं काव्य-पाठ की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गयीं।
कार्यक्रम का आरंभ माँ सरस्वती और नटराज प्रतिमा के समक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर प्रचारक प्रभाकर जी जिला प्रचारक जितेन्द्र जी, तरुण जी एवं संस्कार भारती प्रांत मंत्री उद्योग भारती पांडे, हल्द्वानी महानगर इकाई अध्यक्ष डॉक्टर महेश पांडे, महामंत्री मोहन पांडे, उपाध्यक्ष संजय बल्यूटिया, कोषाध्यक्ष आर एस कालाकोटी, कार्यक्रम संयोजक मनोज पांडे, दृश्य विधा प्रमुख कुसुम पांडे, कविता पांडे ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया । सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सर्वप्रथम संस्कार भारती ध्येय गीत का समवेत गायन किया गया।
मंचीय प्रदर्शन में वरिष्ठ कलाकार प्रभाकर जोशी, डा. महेश पांडे, हरीश भट्ट , हेमन्त कश्यप एवं
नवोदित कलाकार विभाषना पांडे, पर्णिका पांडे, युक्तिदां पांडे, दक्षिता पांडे, रिया, कशिश व साक्षी उप्रेती ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कुसुम पांडे के निर्देशन में नवोदित कलाकारों विष्णु तिवारी, चेतन जोशी, खुशी पालड़ी, ज्योति पांडे, रिया कबड्वाल, रिया मिश्रा, आंचल, नीतिश शर्मा, जय टम्टा, पल्लवी फर्त्याल, निश्चल तिवारी, दिमिरा , भाविका, अथर्व पांडे द्वारा दीपावली रंगोली बनाई तथा चित्रकारी की गयी।
मंचीय प्रस्तुतियों में गिरिजेश तिवारी द्वारा तबले पर और हरीश मेहता द्वारा हारमोनियम पर संगत की गई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक जितेन्द्र जी द्वारा संस्कार भारती की कला जगत में विशिष्टता और भारत की परिवार व्यवस्था का भारतीय संस्कृति को बचाने में दिये योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम व्यवस्थाओं में कृष्णकांत भट्ट, धीरज पडियार, मुकेश तिवारी, ललित तिवारी, नीरज जोशी आदि ने सहयोग दिया। इस सांस्कृतिक परिवार मिलन में हल्द्वानी एवं आसपास के अनेक कलाविदों, कला-प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों की उपस्थिति रही।















