कुलपति की क्लास में विद्यार्थियों की उत्साहित भागीदारी और शत प्रतिशत उपस्थिति
नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में सम सेमेस्टर की पढाई का पहला दिन, पहले के दिनों की अपेक्षा काफी ठंडा दिन, फिर भी एमएससी द्वितीय सेमेस्टर की क्लास में विद्यार्थियों की शत प्रतिशत उपस्थिति।
इसके पीछे की वजह थी उनके कुलपति प्रो० दीवान सिंह रावत के व्याख्यान जो यौगिक विज्ञान में अपने अनुभवों से विद्यार्थियों को परिचित कराएंगे। विद्यार्थियों की शत प्रतिशत उपस्थिति और उनकी उत्सुकता बताती है कि छात्र कुलपति प्रो० रावत द्वारा ली गई पूर्ववर्ती क्लास से कितने प्रेरित हैं। विद्यार्थियों की उत्साहित भागीदारी यह भी संकेत कर रही है कि वे कुलपति प्रो० रावत के व्याख्यानो को गंभीरता से ले रहे हैं। छात्रों को पता है कि कुलपति प्रो० रावत इस सेमेस्टर में उन्हें ऑर्गेनिक स्पेक्ट्रोस्कोपी पढ़ाएंगे।समय पर कुलपति प्रो० रावत एमएससी द्वितीय सेमेस्टर की क्लास में प्रवेश करते हैं और सर्वप्रथम ऑर्गेनिक स्पेक्ट्रोस्कोपी के सिलेबस पर चर्चा करते हैं। इसके साथ ही कुलपति प्रो० रावत द्वारा इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, न्यूक्लियर मैग्नेटिक रिसोनेंस (NMR) स्पेक्ट्रोस्कोपी, मास स्पेक्ट्रोस्कोपी, और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी पर रोचक चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को अध्ययन के प्रत्येक पहलू को समझने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अपने व्याख्यान में कुलपति प्रो० रावत ने बताया कि विज्ञान एक बौद्धिक और व्यावहारिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत हम अवलोकन और प्रयोग के माध्यम से अपने चारों ओर के भौतिक और प्राकृतिक दुनिया की संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन करते हैं और ऑर्गेनिक स्पेक्ट्रोस्कोपी विज्ञान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो जैविक या ऑर्गेनिक यौगिकों के संरचना और प्रकृति की अध्ययन करता है। यह तकनीक यौगिक संरचनाओं के आणविक स्तर पर उनकी संरचना को पहचानने, विश्लेषण करने, और अध्ययन करने के लिए प्रयुक्त होती है। कुलपति प्रो० रावत ने प्रथम दिन संरचना निर्धारण के महत्व और दवा की खोज में भूमिका, 1950 से पहले जब स्पेक्ट्रोस्कोपी उपलब्ध नहीं थी तब रसायनज्ञों का जीवन और यौगिक संरचनाओं के अध्ययन करने में होने वाली कठिनाइयाँ जैसे कई रोचक तथ्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एमआरआई तकनीक की खोज और विकास पर बात करते हुए उन आठ वैज्ञानिकों के बारे में भी बताया जिनको एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी पर नोबेल पुरस्कार मिला। इसके अलावा, प्रो० रावत ने उस रसायनज्ञ के बारे में भी बताया जिन्हें शोध पत्र के खारिज होने के बाद नोबेल पुरस्कार मिला था।