बृद्ध केदार मंदिर संस्कृति अंक आलेख -बृजमोहन जोशी। उत्तराखंड में अनादिकाल से ऋषि-मुनि,योगी, संन्यासी, परि व्राजक, तीर्थयात्री और पर्यटक परिभ्रमण करते चले आ रहे हैं।

नैनीताल l उत्तराखंड मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्र है।
अल्मोड़ा-भिकियासैंण यहां से लगभग १४ किलोमीटर की दूरी पर पश्चिमी रामगंगा और स्थानीय नाम बिनौरा/ बिनौ कुछ लोग इसे विनोद नदी के नाम से भी पुकार ते हैं।इन नदियों के संगम पर अस्थित है बृद्ध केदार मंदिर।
बृद्ध केदार मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।इस मन्दिर का पुनर्निर्माण १५६८ई.मे राजा रूद्र चन्द्र ने करवाया था।यहां भगवान शिव धड़ के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
इस अंचल के बृद्ध लोगों के मतानुसार – पूर्व में यहां किकरी की झाड़ी के अन्दर एक विशाल- काय पाषाण खंड था जिसे भगवान शिव का धड़ मानकर पूजा जाता था। बृद्ध लोगों ने यह भी बताया की लगभग एक दशक पूर्व ब्रह्मलीन हुए इस मन्दिर के १२२ वर्षीय बाबा जी ने यह भी बतलाया था कि राजा रूद्रचन्द्र ,चन्द्र शासक सपत्नीक युद्ध अभियान पर निकले और उन्होंने गढ़वाल के राजा को हराकर मल्ला चौकोट के इलाके को जीत लिया। राम गंगा के किनारे बृद्ध केदार के समीप रात्रि पड़ाव में,सोते समय उन्होंने सपने में मिले निर्देश के अनुसार सन्तान प्राप्ति के लिए भगवान बृद्ध केदारेश्वर का यह मन्दिर बनवाया।राजा का ताम्र पत्र आज भी इस मन्दिर में सुरक्षित हैं।
शीतकाल में केदार नाथ धाम में भारी बर्फ बारी होने के कारण मैदानी क्षेत्रों के श्रृद्धालु वहां जाने के बजाय रामगंगा के इस बृद्ध केदार मंदिर में पूजा अर्चना करके लौट जाते थे। बृद्ध केदार में इस मंदिर की सर्वाधिक मान्यता शिव के धड़ रूपी लगभग ६ फिट लम्बे पाषाण खंड की है। जो कि भूमि के अन्दर अज्ञात गहराई तक फैला है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा सहित कई अवसरों पर यहां मेला लगता है। श्रावण मास में श्रृद्धालु भगवान शिव के धड़ में जलाभिषेक करते हैं। राजा रूद्र चन्द्र के विजय प्रतीक के रूप में यह बृद्ध केदार मंदिर इस क्षेत्र में काफी विख्यात है।
विशेष – (इस मन्दिर के विषय में तथा इस मन्दिर तक ले जाने का श्रेय कार्यलय अधीक्षण
अभियंता उत्तराखंड पेयजल निगम, हल्द्वानी (नैनीताल)के सेवानिवृत्त “स्टोनो ” श्री सुरेश चंद्र जी को जाता है में उनके प्रति भी विशेष आभार व्यक्त करता हूं।








