भारत वर्ष के एक मात्र विकलांग प्रसिद्ध छायाकार.बलवीर सिंह12 वीं पुण्यतिथि पर पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल ने किया याद।

संकलन व आलेख – छायाकार
बृजमोहन जोशी, नैनीताल l बलबीर सिंह का जन्म सन्त सिंह धर्म पत्नी श्रीमती महिंदर कौर के घर नैनीताल में हुआ।आपके दो बड़े भाई भगत सिंह सुरजीत सिंह एक छोटा भाई हरजीत सिंह व एक बहन रघुवीर कौर। बलवीर कि प्रारम्भिक शिक्षा बालिका विद्या मंदिर लाला चेतराम साह ठुल घरिया इण्टर कालेज नैनीताल तथा एम.काम. की शिक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय डी.एस.बी.परिसर नैनीताल से हुई।बलवीर सिंह भारतीय स्टेट बैंक नैनीताल में कार्यरत रहे।बी.काम.की परीक्षा के बाद क्रिकेट खेलते समय अचानक आपके पांवों में दर्द हुआ और देखते ही देखते बलवीर सिंह कुछ ही महीनों में चलने फिरने से लाचार हो गये। बहुत इलाज करवा लेकिन सब बेकार हुआ।इसके बाद बलवीर सिंह ने
फोटोग्राफी को अपना शौक
बनाया और अपनी एक अलग पहचान बनाई।उन्होंने इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउं सिल नई दिल्ली की सदस्यता ग्रहण की तथा राष्ट्रीय व अंत
राष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता में सहभागिता कि और इण्डिया इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली द्वारा उन्हें वर्ष 2000 मे कांस्य 2003 में रजत2005 में स्वर्ण 2007 में प्लेटेनम तथा 2012 में डायमंड ग्रेडिंग अवार्ड से सम्मानित
किया गया।उपरोक्त फोटो प्रति
योगिता में व्यक्तिगत रूप से आपने 125 से अधिक व्यक्तिगत अवार्ड प्राप्त किए तथा इण्डिया
इण्टर नैशनल फोटोग्राफी काउंसिल नई दिल्ली द्वारा चयनित देश के दस सर्वश्रेष्ठ
छायाकारों में आप शामिल रहे।
वर्ष 2000 में आपको सर्वोच्च
विकलांग कर्मचारी का पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया गया। वर्ष 2013 में आप भारत के एक मात्र अकेले ऐसे विकलांग छाया कार थे जिन्होंने फोटोग्राफी के क्षेत्र में यह सम्मान प्राप्त किया था। मेरा मानना है कि बलवीर सिंह का महत्व इसलिए भी है कि उन्होंने अनेक छायाकारों को अपने साथ एक सूत्र में बांधे रक्खा बलवीर सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे प्रकृति प्रेमी थे एक सच्चे अनुशासित कर्मठ व अच्छे इंसान थे।अपने तिपहिया वाहन के सहारे उन्होंने नैनीताल के आस पास के क्षेत्रों की यात्रा करके केवल फोटोग्राफी ही नहीं कि वरन् आपने शहर के आस पास के वातावरण को भी जाना तथा वर्ष में होने वाले मौसमों के साथ साथ कहां कब कैसी प्रकाश (लाइट) होगी इसकी उन्हें सटीक जानकारी होती थी। मेरा सौभाग्य है कि मैं इस तिपहिया वाहन में उनके साथ होता था। मेरा यह भी मानना है कि बलवीर सिंह का महत्व इसलिए भी है कि उन्होंने आम लोगों कि इस धारणा को निराधार साबित कर दिया कि शारीरिक विकलांगता के कारण आम लोग उन्हें बोझ समझने लगते हैं उनका निरादर अपमान तिरस्कार करते हैं उन्होंने कभी अपनी परेशानी अपने दुखों का रोना नहीं रोया वो एक जीवट इन्सान थे। बलवीर सिंह का कृतित्व व व्यक्तित्व हम सबके लिए एक आदर्श उदाहरण है वो हम सब के लिए एक प्रेरणा स्रोत थे और हमेशा रहेंगे। उन्होंने अपने माता-पिता अपने गुरुजनों का नाम रौशन किया और हमें भी उनके साथ रहते हुए गर्व का अनुभव होता था जो नाम उनके माता पिता ने उन्हें दिया (बलवीर) उस नाम का उन्होंने मान बढ़ाया और यह सिद्ध कर दिया कि विषम परिस्थितियों में भी जीवन को कैसे जीया जा सकता है वर्ष 2013 में पटियाला के एक हास्पिटल में उनका इलाज के दौरान निधन हो गया और वह अनन्त यात्रा में निकल गये। बलबीर भाई हम सभी छाया कारों की स्मृतियों में हमेशा जिन्दा रहेंगे। हम सभी छाया कारों को उन्होंने एक सूत्र में पिरोकर रक्खा था उनके जाने के बाद हम सभी साथी बिखर से गएऔर उनकी कमी हमेशा हमें खलती रहती है।पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल परिवार कि ओर से अपने सभी छायाकार बन्धु बान्धवों कि ओर से नैनी
ताल शहर में रहने वाले बलबीर भाई के सभी ईष्ट ,मित्रों सह
योगियों की ओर से भी हम सभी उन्हें शत-शत नमन करते हैं अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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