नैनीताल की रामलीला में कलाकारों ने किया उत्कृष्ट अभिनय। सीता स्वयंवर में उत्कृष्ट अभिनय के करते हुए विदाई गीत गाते समय रो पडी सीता की माँ,

रामलीला मंचन के दौरान सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद, जनक परशुराम संवाद, गौरी पूजन, धनुष भंजन आदि रहे आकर्षण के केंद्र सरोवर नगरी नैनीताल में रामलीला मंचन हेतु प्रसिद्ध नव साँस्कृतिक सत्संग समिति, शेर का डांडा द्वारा राम यज्ञ का सफल आयोजन किया जा रहा है।
तीन दिनों की रामलीला में मुख्य अतिथियों एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप मे सभासद तारा राणा, पूर्व प्रधानाचार्य ए ऐन सिंह, ऐपण विशेषज्ञ दीपा सिंह, लेक सिटी वैलफेयर क्लब की पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता जीवंती भट्ट, सहित लेक सिटी क्लब की साँस्कृतिक उप सचिव एवं प्रसिद्ध पर्वतारोही तुसी साह, क्लब की रचनात्मक सदस्य एवं लोक कला संवर्धक कंचन जोशी, वन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता संतोष साह आदि की उपस्थिति प्रेरणादायक रही। एक रचनात्मक पहल के रूप मे समिति के अध्यक्ष खुशाल सिंह रावत, सचिव पी सी पांडे, संरक्षक महेश चंद्र तिवारी सहित विभिन्न पदाधिकारी संतोष पंत, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, प्रकाश चंदोला, दीपक जोशी, राजेश जोशी, ललित मोहन पांडे आदि द्वारा अतिथियों को रामनामी स्कार्फ अलंकरण सही समिति की तरफ से प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। राम एवं लक्ष्मण की भूमिकाओं में रौनक बोरा एवं मोहित सुयाल ने उत्कृष्ट अभिनय प्रस्तुत किया। तिरपन वर्षों से संचालित रामलीला में इस वर्ष एक विशिष्ट संयोग के रूप में एक ही परिवार के तीन सदस्यों द्वारा भावपूर्ण अभिनय देकर मंचन को ऐतिहासिक एवं यादगार बनाया। सीता की भूमिका में सबसे छोटे कलाकार के रूप में सेंट जोसफ के कक्षा 5 के छात्र संस्कार पांडे द्वारा बेह्तरीन अभिनय किया जा रहा है, जबकि सीता स्वयंवर में सीता की माँ सुनयना के रूप में संस्कार की माता एवं पेशे से शिक्षिका दीपा पांडे द्वारा भावपूर्ण अभिनय कर सभी को प्रभावित किया। वहीँ पिछले 32 वर्षों से रामलीला में दो दर्जन से अधिक पात्रों का अभिनय कर चुके संस्कार पांडे के पिता एवं रंगकर्मी शिक्षक डॉक्टर हिमांशु पांडे द्वारा राजा जनक की भूमिका निभाई गई। रामलीला मंचन के दौरान इस बार बहुमुखी प्रतिभा के धनी शिक्षाविद एवं संस्कृति प्रेमी सी आर ऐस टी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मनोज पांडे द्वारा राजा दशरथ की एवं शिक्षक गणेश लोहनी द्वारा विश्वामित्र की भूमिका निभायी गयी। अनुभवी कलाकर चारु पंत द्वारा परशुराम की भूमिका विशेष रूप से सराही गई। साथ ही रावन के दमदार अभिनय में दीपक जोशी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। आयोजन को सफल बनाने में समस्त सदस्यों एवं पदाधिकारियों सहित निर्देशक मंडल में खुशाल सिंह रावत, ललित गिरी गोस्वामी, हिम्मत सिंह, संतोष पंत, कैलाश जोशी आदि द्वारा योगदान दिया जा रहा है।

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