संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा आयोजित “कला धरोहर” कार्यशाला संपन्न, डीएसबी परिसर संगीत विभाग के प्राध्यापक डॉ रवि जोशी ने कार्यशाला में भजन प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी

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नैनीताल l संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा आयोजित “कला धरोहर” कार्यशाला संपन्न l संगीत नाटक अकादमी नईदिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का समर्थन करने के उद्देश्य से आयोजित ‘कला धरोहर’ पहल के अंतर्गत देशभर के विभिन्न विद्यालयों में प्रदर्शन कला पर व्याख्यान, कार्यशालाएं और प्रस्तुतियों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। इसी क्रम में नवोदय विद्यालय (सुयालवाड़ी) के बच्चों के लिए दो दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कुमाऊँ विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध संगीतज्ञ डॉ. रवि जोशी ने शिरकत की। कार्यशाला के दौरान, डॉ. रवि जोशी ने बच्चों के बीच मीराबाई के भजनों का सजीव और भावपूर्ण गायन किया, जिससे बच्चों में भक्ति और आध्यात्मिकता की गहरी भावना जागृत हुई। उन्होंने भक्ति काल के साथ-साथ सगुण और निर्गुण भजनों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को मीराबाई का सुप्रसिद्ध भजन ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो’ शास्त्रीय संगीत की प्राचीन परम्पारा अनुसार सिखाया, जिससे बच्चों ने भक्ति संगीत की गहराई और माधुर्य को महसूस किया। कार्यक्रम के अंत में, बच्चों ने उत्साहपूर्वक अपनी सजीव प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने जो कुछ सीखा, उसे प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।इस कार्यशाला का आयोजन मीराबाई की 525वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया। डॉ. रवि जोशी ने बच्चों को शास्त्रीय संगीत के कुछ प्रमुख रागों का परिचय भी दिया, जिससे बच्चों में शास्त्रीय संगीत के प्रति गहरी रुचि उत्पन्न हुई। उन्होंने रागों के मूल तत्वों और उनके गायन की परंपराओं पर चर्चा की, जिससे बच्चों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की जटिलताओं को समझने में सहायता मिली। बच्चों ने मीराबाई के भजनों और शास्त्रीय संगीत के रागों में गहरी रुचि दिखाई और इस कार्यशाला को एक यादगार अनुभव के रूप में वर्णित किया। डॉरविजोशीकेइस मधुर गायन में उनकी पत्नी, नूपुर जोशी ने तानपुरे तथा गायन में उनका साथ दिया, जबकि तबले पर उनका साथ उनके शोध विद्यार्थी कमल जोशी ने दिया।कार्यक्रम के दौरान, नवोदय विद्यालय के प्रधानाचार्य, संगीत शिक्षिका, और अन्य शिक्षकों ने इस अनूठी कार्यशाला की भूरी-भूरी प्रशंसा की। प्रधानाचार्य महोदय ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं बच्चों के सांस्कृतिक और संगीत ज्ञान को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संगीत शिक्षिका ने डॉ. रवि जोशी के समर्पण और उनके शिक्षण पद्धति की सराहना की, जो बच्चों के लिए बहुत ही प्रेरणादायीहै.संगीत नाटक अकादमी की इस पहल ने युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया है। इस पहल के माध्यम से, संगीत नाटक अकादमी ने न केवल कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, बल्कि युवा पीढ़ी को उनकी जड़ों से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम भी प्रस्तुत किया है। भविष्य में इस प्रकार की और भी कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जिससे बच्चों में संगीत और कला के प्रति और भी अधिक उत्साह उत्पन्न हो सकेगा।कार्यशाला के निर्देशक तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. रवि जोशी स्वंय एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक है तथा देश विदेशो में अपनी सांगीतिक प्रस्तुतियों तथा विद्यार्थियों का सतत मार्गनिर्देशन कर नैनीताल एवं प्रदेश का नाम रौशन कर रहे हैं ।

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