ग्रीष्मकालीन अवकाश का सदुपयोग” विषय पर गोष्ठी संपन्न अवकाश में अपने लक्ष्य के लिए ऊर्जा से तैयार हों -आचार्या श्रुति सेतिया
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नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “ग्रीष्मकालीन अवकाश का सदुपयोग” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 640 वां वेबिनार था। मुख्य वक्ता आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा है कि गर्मी की छुट्टियों का मतलब ढेर सारी मस्ती।ना जल्दी उठने की चिंता और ना स्कूल, कॉलेज जाने की परवाह।परवाह है तो बस खेल कूद,मस्ती और दोस्तों के साथ घूमने की।हमेशा यह ख्याल रहता है की इस समय का सदुपयोग कैसे किया जाए।हम जानते हैं की संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु है समय क्योंकि जो समय बीत जाता है उसे वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता।छुट्टियों का महत्व और मूल्य समझें।छुट्टियों में आने वाले समय,लक्ष्य और भविष्य के लिए खुद को और अधिक ऊर्जा के साथ तैयार करना चाहिए,जिससे आने वाली चुनौतियों का सामना किया का सके।छुट्टियों में पढ़ाई लिखाई का टेंशन नहीं होता,इसलिए अपने मन के अंदर झांकने की कोशिश करनी चाहिए।अपनी कमियों और अच्छाइयों को जानने का प्रयास करना चाहिए और अपनी कमियों को दूर करना चाहिए।छुट्टियों का उपयोग व्यक्तित्व के विकास के लिए किया जा सकता है।अभिभावकों को सलाह दी जाती है की गर्मियों में बच्चों को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करें।यह समय उत्तम समय है जब हम भारत या विश्व भ्रमण के लिए जा सकते हैं।अपने कौशल को बढ़ाने हेतु हम तैराकी,घुड़सवारी, चित्रकारी और संगीत वादन सीख सकते हैं,जो ना केवल हमारे समय को उपयोगी गतिविधियों में लगाते हैं बल्कि हम एक बहुमुखी व्यक्तित्व का इंसान बन जाते हैं।हमें अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए,जिसे हमें सिर्फ सो कर या खेलकूद कर के ही नहीं गवाना चाहिए।अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उन्हें अलग अलग क्षेत्रों में प्रतिभावान बनाएं,लंबा समय छुट्टियों का जो मिलता है उसे आनंद और विकाशील अनुभव के लिए बिताना चाहिए।गर्मी के समय के दौरान समर कैंप भी चलाए जाते हैं जिसमें बहुत कुछ सीखने की गतिविधियों चलाई जाती हैं।अपने परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ने के लिए एक बढ़िया समय है।अपने बच्चों को अपने पैतृक गांव ले जाएं।अलग अलग अवकाशों पर अलग अलग योजनाएं बना कर और योजनाओं के अनुरूप सफल बनाना अच्छा विचार है।युवा वर्ग खाली समय में पर्सनेलिटी डेवलपमेंट का शॉर्ट टर्म कोर्स कर सकता है।वास्तव में अवकाश के समय का सदुपयोग हमें अपने आध्यात्मिक विकास एवम जन कल्याण में ही करना है।अच्छे ग्रंथो के स्वाध्याय से अपने ज्ञान को पुनः प्रकाशित करें,संत समागम,ईश्वर भजन,कीर्तन महान ग्रंथो के स्वाध्याय और दुखी लोगों की सेवा करके समय का सदुपयोग किया जाना चाहिए।जीवन का एक उद्देश्य भी प्रमाद एवम् दुष्टात्माओं में ना हो इसका पूरा विवेक रखना ही मानव का कर्तव्य है। मुख्य अतिथि आर्य नेत्री कृष्णा पाहुजा व अध्यक्ष राजश्री यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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