पूर्व के आदेशों का पालन ना होने पर शिक्षा निदेशक माध्यमिक हुए व्यक्तिगत रूप से पेश:::::: हाई कोर्ट

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नैनीताल::::: उत्तराखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को पूर्व के आदेश का पालन नही करने पर शिक्षा निदेशक माध्यमिक आर.के. कुँवर व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। मामले को सुनने के बाद न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने निदेशक को 11 मई तक शपथपत्र के माध्यम से यह बताने को कहा है कि पिछले पाँच साल में कितने शिक्षकों को सत्रांत लाभ दिया है उनका रिकॉर्ड पेश करें। मामले की अगली सुनवाई 11 मई की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार जागेश्वर प्रसाद कश्यप सहायक अध्यापक विज्ञान राजकीय इंटर कालेज कृतिया पौड़ी गढ़वाल ने अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि माननीय उच्च न्यायलय ने 13 दिसम्बर 2019 को उनके पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार से कहा था कि सरकार के साशनादेश दिनांक 8 अप्रैल 2011, 20 सितम्बर 2011 व 1 जून 2012 में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत उनको सत्रांत लाभ दिया जाय। परन्तु शिक्षा निदेशक माध्यमिक द्वारा उनका प्रत्यावेदन यह कह कर निरस्त कर दिया कि विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक है इसलिए उन्हें सत्रांत का लाभ नही दिया जा सकता। इसको आधार बनाकर याचिकर्ता द्वारा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। अवमानना याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने अपने ही साशनादेश के विरुद्ध जाकर उनको सत्रांत का लाभ नही दिया जबकि माननीय उच्च न्यायलय ने इन्ही शासनादेशों के आधार पर उन्हें सत्रांत लाभ देने के आदेश दिए थे। याचिकर्ता को शासनादेशों के अनुसार 30 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक सत्रांत लाभ दिया जाना था। 4 मार्च 2022 को माननीय उच्च न्यायलय ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को प्रथम दृष्टिया अवमानना का दोषी पाते हुए आज माननीय उच्च न्यायलय में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।

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